Tax Saving Tips
नया फाइनेंशियल ईयर शुरू हो गया है. 1 अप्रैल शुरू होने के साथ ही कई चीजें बदल गई हैं. इसके साथ ही शुरू हो गया है सैलरीड क्लॉस के लिए टैक्स सेविंग का गणित. अगर आप भी अभी से ही सही तरीके से प्लान कर लेंगे तो आपको आने वाले समय में इनकम टैक्स की कटौती से राहत मिल सकती है. आपकी तरफ से किये गए डिक्लेरेशन के आधार पर ही एम्पलायर की तरफ से टैक्स डिडक्शन किया जाएगा. इसके लिए जरूरी है कि आप 1 अप्रैल से शुरू हुए नए फाइनेंशियल ईयर के बेस पर अपनी सेविंग का प्लान करें. आयकर विभाग की तरफ से न्यू टैक्स रिजीम और ओल्ड टैक्स रिजीम के आधार पर इनकम टैक्स लिया जाता है.
WILL GET RELIEF FROM TAX CUTS
यदि आप अपने एम्पलाइयर से किसी तरह की सेविंग डिक्लेयर नहीं करते तो आप न्यू टैक्स रिजीम (New Tax Regime)के तहत आएंगे. लेकिन यदि आप किसी तरह का डिक्लेरेशन करते हैं तो आप ओल्ड टैक्स रिजीम (Old Tax Regime) के तहत मिलने वाली छूट के हकदार होंगे. इसलिए जरूरी है कि आप समय रहते सही टैक्स रिजीम को सिलेक्ट करके अपनी प्रपोज्ड सेविंग घोषित कर दें. इससे पूरे साल आपको इनकम टैक्स के नाम पर होने वाली कटौती से राहत मिल सकती है. टैक्स रिजीम में सिलेक्शन से पहले आपको कुछ चीजों का ध्यान रखना चाहिए, आइए जानते हैं क्या?
DISCOUNT LIMIT
न्यू टैक्स रिजीम (new tax regime) के तहत किसी भी उम्र वाले व्यक्तियों को 3 लाख रुपये तक की सालाना इनकम पर किसी तरह का टैक्स नहीं देना होता. यह छूट उन लोगों पर समान रूप से लागू होती है जो न्यू टैक्स रिजीम को सिलेक्ट करते हैं. हालांकि, ओल्ड टैक्स रिजीम (ols tax regime) में उम्र के आधार पर अलग-अलग छूट मिलती है. ओल्ड रिजीम में 60 साल से कम की उम्र वालों को एक वित्तीय वर्ष में 2.5 लाख रुपये तक की इनकम पर टैक्स से छूट मिलती है. लेकिन 60 से 80 साल की उम्र वालों के लिए छूट की यह सीमा 3 लाख रुपये है. 80 साल या इससे ज्यादा की उम्र के लिए 5 लाख रुपये तक की आमदनी टैक्स फ्री है.
TAX REBATE
नई आयकर व्यवस्था के तहत पुरानी व्यवस्था के मुकाबले ज्यादा आयकर छूट मिलती है. न्यू टैक्स रिजीम के तहत कोई भी शख्स 25,000 रुपये तक की छूट हासिल कर सकता है. इसके परिणामस्वरूप 7 लाख रुपये तक की आदमनी पर किसी प्रकार का टैक्स नहीं देना होता. चार्टर्ड अकाउंटेंट आशीष मिश्रा के अनुसार ओल्ड टैक्स रिजीम में 12,500 रुपये तक की टैक्स रिबेट मिलती है, जो 5 लाख रुपये तक की आमदनी पर टैक्स जीरो कर देती है.
TAX EXEMPTION THROUGH SAVING
ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत न्यू रिजीम के मुकाबले ज्यादा टैक्स छूट और कटौती मिलती है. इसमें आप सेक्शन 80C के तहत निवेश और खर्च पर 1.5 लाख रुपये तक की कटौती क्लेम कर सकते हैं. इसी तरह सेक्शन 80D के तहत हेल्थ इंश्योरेंस के लिए किये गए पेमेंट के प्रीमियम पर भी कटौती का दावा कर सकते हैं. सेक्शन 80CCD (1B) के तहत आप एनपीएस (NPS) में अतिरिक्त निवेश के लिए 50,000 रुपये तक की राशि पर कटौती का दावा कर सकते हैं. होम लोन के ब्याज के रूप में दिये जाने वाले पैसे पर आप अधिकतम 2 लाख रुपये तक की कटौती का भी दावा कर सकते हैं. इसके अलावा आप एचआरए (HRA) के साथ लीव ट्रैवल अलाउंस (LTA) पर भी टैक्स रिबेट का दावा कर सकते हैं. न्यू टैक्स रिजीम में आपको केवल 50,000 का स्टैंडर्ड डिडक्शन और एनपीएस (NPS) पर छूट मिलती है.
SURCHARGE
दोनों टैक्स रिजीम में सरचार्ज में भी अंतर है. न्यू टैक्स रिजीम के तहत 5 करोड़ रुपये से ज्यादा की आमदनी पर एक्सट्रा सरचार्ज की दर 37% से घटाकर 25% कर दी गई है. वहीं, ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत कितनी भी सैलरी होने पर एक्सट्रा सरचार्ज 37% ही रहता है.
WHICH TAX REGIME IS BEST?
आशीष मिश्रा सुझाव देते हैं कि कम टैक्सेबल इनकम या पर्याप्त कटौती वालों के लिए ओल्ड टैक्स रिजीम ज्यादा फायदेमंद है. न्यू रिजीम में उपलब्ध कम टैक्स रेट के फायदे को देखते हुए ओल्ड टैक्स रिजीम केवल उन्हीं व्यक्तियों के लिए फायदेमंद होगी, जिनकी कर योग्य आमदनी अपेक्षाकृत कम है या जिनके पास टैक्स छूट के लिए महत्वपूर्ण कटौती और छूट उपलब्ध हैं. उन्होंने यह भी कहा कि यदि कोई व्यक्ति कम टैक्स बचाने के लिए ज्यादा निवेश करने की बजाय इनहैंड ज्यादा खर्च करने योग्य आय चाहता है, तो न्यू टैक्स रिजीम सहीं है. लेकिन यदि आपका टारगेट रिटायरमेंट के लिए सेविंग करना है या आपके पास होम लोन है तो न्यू टैक्स रिजीम फायदेमंद रहेगी.