Onion Price: सरकार ने प्याज की कीमत पर लगाम लगाने और किसानों को किसी भी तरह के नुकसान से बचाने के लिए बफर स्टॉक में इजाफा करने का ऐलान किया है. इसके लिए सरकार की तरफ से जल्द 5 लाख टन प्याज की खरीद की जाएगी. प्याज के निर्यात पर लगी पाबंदी अभी जारी रहेगी.
लोकसभा चुनाव से पहले सरकार की नजर चीजों के बढ़ते हुए दामों पर है. सरकार की कोशिश है कि किसी भी कीमत पर आम आदमी से जुड़ी किसी भी चीज के रेट में बढ़ोतरी नहीं हो. इसी को ध्यान में रखते हुए पिछले दिनों एलपीजी गैस सिलेंडर सस्ता करने के साथ ही पेट्रोल-डीजल के दाम में भी कटौती की गई थी. अब सरकार प्याज की बढ़ी कीमत को कम करने और बाजार को स्थिर रखने के लिए पांच लाख टन प्याज खरीदने का फैसला किया है. पिछले साल के इस समय के मुकाबले इस साल थोक रेट में भी उछाल आया है. इससे ग्राहकों पर पहले के मुकाबले आर्थिक बोझ बढ़ रहा था, इसी को ध्यान में रखकर सरकार ने यह कदम उठाया है.
निर्यात पर 31 मार्च तक के लिए रोक लगाई गई थी
लेकिन पिछले दिनों सरकार ने अगले आदेश तक प्याज निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है. इससे पहले प्याज निर्यात पर रोक 31 मार्च तक के लिए लगाई गई थी. इसके बाद प्याज की कीमत में संभावित गिरावट की चिंता के बीच सरकार ने किसानों को भरोसा दिलाया कि वह उनके फायदे को ध्यान में रखते हुए अगले 2-3 दिन में पांच लाख टन प्याज की खरीद शुरू करेगी. उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा, ‘हम किसानों को आश्वस्त करना चाहते हैं कि उनकी चिंता का ध्यान रखा जाएगा. हम बफर स्टॉक बनाए रखने के लिए अगले 2-3 दिन में पांच लाख टन प्याज की फसल की खरीद शुरू करेंगे.’
निर्यात पर रोक लगाने से व्यापारियों पर असर
उन्होंने कहा कि प्याज के निर्यात पर रोक लगाने का असर व्यापारियों पर असर पड़ रहा है. इससे किसानों को किसी तरह की दिक्कत नहीं हो रही. महाराष्ट्र में औसत मंडी (थोक) कीमत फिलहाल करीब 13-15 रुपये प्रति किलो हैं, जो पिछले साल के स्तर से करीब दोगुनी है. उन्होंने कहा, ‘भले ही कीमतें गिरें, हम किसानों का ध्यान रखेंगे.’ सचिव ने कहा कि सरकार मंडी दर पर बफर स्टॉक के लिए प्याज की खरीदारी करती है. हालांकि, यदि रेट उत्पादन लागत से नीचे आता है तो सरकार यह ध्यार रखती है कि कम से कम किसानों की लागत पूरी हो. साल 2023-24 में सरकार ने बफर स्टॉक के लिए 17 रुपये किलो की औसत दर पर 6.4 लाख टन प्याज (रबी और खरीफ दोनों फसलें) खरीदी थीं.
अगले दो दिन में शुरू होगी प्याज की खरीद
उन्होंने कहा कि करीब पूरी मात्रा का निपटान कर दिया गया है. उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय में विशेष कार्याधिकारी निधि खरे ने कहा कि पिछले साल प्याज की खरीद जून में हुई थी. लेकिन इस साल यह अगले दो दिन में जल्दी शुरू होने जा रही है. दो नोडल सहकारी एजेंसियां नेफेड (NAFED) और एनसीसीएफ (NCCF) खरीद को अंजाम देंगी. खरीद के लिए, नेफेड और एनसीसीएफ (NCCF) को प्याज किसानों का पूर्व-पंजीकरण करना है ताकि यह तय किया जा सके कि किसानों को डीबीटी के जरिये उनके बैंक अकाउंट में किया जाए.
खुदरा कीमत 33 रुपये पर स्थिरखुदरा कीमत पर रबी प्याज उत्पादन में संभावित गिरावट के बारे में सचिव ने कहा कि देश में औसत खुदरा कीमत फिलहाल 33 रुपये प्रति किलो पर स्थिर हैं. सरकार ने आपूर्ति-मांग के अंतर को दो तरह से निपटने के लिए प्लान बनाया है. उन्होंने कहा कि सरकार विकिरण उपचार के जरिये 1,322 टन प्याज के स्व-जीवन (शेल्फ लाइफ) में सुधार का परीक्षण कर रही है और दूसरी बात यह है कि प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में किसानों को मौसम की स्थिति के आधार पर शुरुआती खरीफ फसल उगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा.
कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2023-24 (जुलाई-जून) में रबी प्याज का उत्पादन 20 प्रतिशत घटकर 190.5 लाख टन रहने का अनुमान है, जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह 237 लाख टन रहा था. देश में प्याज की उपलब्धता के लिए रबी प्याज महत्वपूर्ण है क्योंकि वार्षिक उत्पादन में 72-75 प्रतिशत का योगदान देता है. सालभर प्याज की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए रबी प्याज भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें खरीफ (ग्रीष्मकालीन) प्याज की तुलना में बेहतर स्व-जीवन है और इसे नवंबर-दिसंबर तक आपूर्ति के लिए संग्रहीत किया जा सकता है.
एक अलग बयान में प्याज निर्यात प्रतिबंध को बढ़ाने का हालिया निर्णय, मौजूदा अंतरराष्ट्रीय कीमत और वैश्विक उपलब्धता चिंताओं के बीच समग्र घरेलू उपलब्धता को देखते हुए जरूरी हो गया है. इस बीच, सरकार ने उन पड़ोसी देशों को निर्यात की अनुमति दी है जो अपनी घरेलू खपत जरूरतों के लिए देश पर निर्भर हैं. सरकार ने भूटान (550 टन), बहरीन (3,000 टन), मॉरीशस (1,200 टन), बांग्लादेश (50,000 टन) और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) को (14,400 टन) प्याज निर्यात की अनुमति दी है.