Lok Sabha Election 2024:
आजादी के 77 साल बाद देश की महिलाओं के वोटिंग बिहेवियर में बड़ा बदलाव आया है। कभी नाम लिखाने में लाज आती थी, आज पुरुषों से ज्यादा मतदान करती हैं।
आजादी के 77 साल बाद देश की महिलाओं के वोटिंग बिहेवियर में बड़ा बदलाव आया है। नारी शक्ति वंदन नवरात्र पर्व पर हम पीछे मुड़कर देखें तो एक जमाने में रूढ़ीवादिता और लोकलाज के दौर में महिलाएं मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज करवाने में भी पुरुषों से रिश्ते को आगे रखती थी। बदलते दौर में पिछले कुछ चुनावों से महिलाएं न केवल राजनीति में बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रही हैं बल्कि कुछ राज्यों में पुरुषोंं से अधिक मतदान कर रही हैं।
28 लाख महिला मतदाताओं के नाम काटे गए थे
देश के पहले लोकसभा चुनाव (1951-52) में लोक-लज्जा और परंपराओं के कारण महिलाओं के सामने पहचान का संकट था। यही कारण रहा कि करीब 28 लाख महिला मतदाता अपने मत का उपयोग ही नहीं कर सकी। दरअसल, मतदाता सूची तैयार करते समय कर्मचारियों के एक बड़ी समस्या का सामना करना पड़ा था। कई राज्यों में महिलाओं ने अपने नाम के बजाय परिवार के पुरुष सदस्यों के साथ अपने संबंधों के आधार पर मतदाता सूची में नाम जुड़वाया था।
रामू की मां, रहीम की बहन, किसना की पत्नी
जैसे..रामू की मां, रहीम की बहन, किसना की पत्नी। इसी कारण आयोग को 28 लाख महिला मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाने पड़े थे। बताया जाता है कि इससे प्रथम मुख्य चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन बेहद नाराज थे। उन्होंने चुनाव अधिकारियों को मतदाता सूची में सुधार के निर्देश दिए। इसका असर अगले चुनाव में देखने को मिला।
नाम काटने पर हुआ था हंगामा
मतदाता सूची से महिलाओं के नाम काटने पर जमकर हंगामा हुआ था। इस पर सुकुमार सेन का कहना था कि ऐसे कड़े कदम से लोगों को जागरूकता आएगी और लोग मूर्खतापूर्ण हरकत नहीं करेंगे। इसके बाद अगले आम चुनाव में महिलाएं आगे आईं और खुद का नाम मतदाता सूची में जुड़वाया।
राजस्थान और मध्यप्रदेश में थे अधिक मामले
चुनाव आयोग के मुताबिक दूसरे के नाम से पंजीकरण के सबसे अधिक मामले बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश में आए थे।