Butter Chicken And Dal Makhani :
बटर चिकन और दाल मखनी का आविष्कार किसने किया? दो रेस्टोरेंट में छिड़ी जंग, मामला हाईकोर्ट पहुंचा
दरियागंज रेस्तरां श्रृंखला ने ‘बटर चिकन’ की उत्पत्ति के बारे में एक अखबार के साक्षात्कार में मोती महल के मालिकों की कुछ कथित अपमानजनक टिप्पणियों के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया है. मोती महल ने प्रतिष्ठित भारतीय पाक व्यंजनों – बटर चिकन और दाल मखनी विकसित करने का असली दावेदार का हक पाने के मुद्दे पर जनवरी में दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया था.
मोती महल को दरियागंज रेस्तरां द्वारा “बटर चिकन और दाल मखनी के आविष्कारक” टैगलाइन का उपयोग किए जाने पर आपत्ति है. मोती महल का आरोप है कि दरियागंज रेस्तरां दोनों रेस्तरांओं के बीच आपसी तालमेल होने का भ्रम फैला रहा है, जबकि असलियत में ऐसा नहीं है. नवरी में मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने की थी. उन्होंने दरियागंज रेस्तरां के मालिकों को समन जारी किया था और उन्हें एक महीने के भीतर लिखित जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था. इसके अलावा, उन्होंने अंतरिम निषेधाज्ञा के लिए मोती महल के आवेदन पर नोटिस जारी किया और सुनवाई के लिए 29 मई की तारीख तय की.
विवाद तब बढ़ गया, जब मोती महल के मालिकों द्वारा दिए गए बयान मीडिया में प्रकाशित हो गए और बाद में अन्य मीडिया आउटलेट्स द्वारा प्रसारित किए गए. इन बयानों को दरियागंज रेस्तरां ने अपनी प्रतिष्ठा के लिए हानिकारक माना. आरोपों के जवाब में मोती महल के मालिकों ने दावा किया है कि उनके बयान “संपादकीय परिप्रेक्ष्य” से पेश किए गए थे और इसके लिए उन्हें सीधे तौर पर जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता.
न्यायमूर्ति नरूला ने अब मोती महल के मालिकों को लेखों में प्रकाशित विवादित बयानों से खुद को दूर रखने के अपने प्रयास की पुष्टि करते हुए एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है. न्यायमूर्ति नरूला ने कहा, “वादी (मोती महल मालिकों) को एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया जाता है, जिसमें दावों को विस्तार से बताया गया हो और प्रकाशित लेखों में विवादित बयान से खुद को दूर करने के अपने प्रयास की पुष्टि की गई हो। इसे आज से दो सप्ताह के भीतर दाखिल किया जाए. “
अदालत में दायर दरियागंज रेस्तरां की अर्जी में कथित अपमानजनक टिप्पणियों का उसकी प्रतिष्ठा और व्यावसायिक हितों पर हानिकारक प्रभाव पड़ने की बात कही गई है.