Gujarati गुजरात के कलोल के रहने वाले जीतेन्द्र पटेल ने अमेरिका जाने के लिए अपनी पहचान बदलकर पाकिस्तानी नागरिक बनने का प्रयास किया। उन्होंने अपना नाम बदलकर वसीम खलील रखा और एक असली पाकिस्तानी पासपोर्ट का उपयोग किया, जो वास्तव में किसी अन्य व्यक्ति का खोया हुआ दस्तावेज़ था। इस योजना के तहत, वे पहले अहमदाबाद से दिल्ली गए, फिर एयर कनाडा की उड़ान से कनाडा पहुंचे, और वहां से अमेरिका में प्रवेश किया। हालांकि, अमेरिकी इमिग्रेशन अधिकारियों ने उनके पासपोर्ट की जांच के दौरान शक के आधार पर पूछताछ की, जिसमें उनकी असली पहचान उजागर हो गई। इसके बाद, उन्हें अमेरिका से डिपोर्ट कर भारत वापस भेज दिया गया, जहां दिल्ली हवाई अड्डे पर उनकी गिरफ्तारी हुई।
यह घटना इस बात को रेखांकित करती है कि अमेरिका में ग़ैरकानूनी तरीकों से प्रवेश करने वाले भारतीय नागरिकों की संख्या में वृद्धि हो रही है। पिछले तीन वर्षों में, अमेरिका से डिपोर्ट किए गए भारतीय नागरिकों की संख्या में 400% की वृद्धि हुई है। 2024 में, कुल 1,529 भारतीयों को डिपोर्ट किया गया, जबकि 2021 में यह संख्या मात्र 292 थी।
इस मामले में, जीतेन्द्र पटेल ने दुबई में एक एजेंट को पैसे देकर अपनी पहचान बदलने और ग़ैरकानूनी तरीकों से अमेरिका पहुंचने की कोशिश की। उनका असली पासपोर्ट 2016 में एक्सपायर हो गया था, लेकिन उसे रिन्यू कराने के बजाय, उन्होंने मानव तस्करों की मदद ली, जिन्होंने उन्हें फर्जी दस्तावेज़ प्रदान किए और दुबई के रास्ते अमेरिका पहुंचाने की योजना बनाई।
यह मामला मानव तस्करी और ग़ैरकानूनी इमिग्रेशन के खतरों को उजागर करता है, जो न केवल संबंधित व्यक्तियों के लिए बल्कि देशों की सुरक्षा के लिए भी गंभीर चुनौती है।